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हास्य काव्य |
भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)। |
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पेट-महिमा - बालमुकुन्द गुप्त |
साधो पेट बड़ा हम जाना। |
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जेल में क्या-क्या है - पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र' |
पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र' 1926-27 में जेल में बंद थे लेकिन जेल में होने पर भी उनके प्राण किसी प्रकार अप्रसन्न नहीं थे। देखिए, जेल में पड़े-पड़े उनको क्या सूझी कि जेल में क्या-क्या है, पर कविता रच डाली - |
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एक बैठे-ठाले की प्रार्थना - पं० बदरीनाथ भट्ट |
लीडरी मुझे दिला दो राम, |
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गज़ब यह सूवा शहर मेरी रानी - कमला प्रसाद मिश्र | फीजी | Kamla Prasad Mishra |
गली-गली में घूमे नसेड़ी दुनिया यहाँ मस्तानी |
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