जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
हास्य काव्य
भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।

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डिजिटल इंडिया | हास्य-व्यंग - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

वर्मा जी ने फेसबुक पर स्टेटस लिखा -
'Enjoying in Dubai with family!'
साथ में...पूरे परिवार का फोटो अपलोड किया था!
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सरकार कहते हैं - गोपालप्रसाद व्यास | Gopal Prasad Vyas

बुढ़ापे में जो हो जाए उसे हम प्यार कहते हैं,
जवानी की मुहब्बत को फ़कत व्यापार कहते हैं।
जो सस्ती है, मिले हर ओर, उसका नाम महंगाई,
न महंगाई मिटा पाए, उसे सरकार कहते हैं।
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कविता-कविता - कौतुक बनारसी | हास्य कविता

कुछ जीत हुई, कुछ हार हुई
              दिन-रात रटें कविता-कविता
कुछ आन रही, कुछ शान रही
             हर बात रटें कविता-कविता
हर मौसिम में सरदी गरमी
             बरसात, रटें कविता-कविता
उफ, जात रहे न रहे जग में,
              कमजात रटें कविता-कविता
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