जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
कविताएं
देश-भक्ति की कविताएं पढ़ें। अंतरजाल पर हिंदी दोहे, कविता, ग़ज़ल, गीत क्षणिकाएं व अन्य हिंदी काव्य पढ़ें। इस पृष्ठ के अंतर्गत विभिन्न हिंदी कवियों का काव्य - कविता, गीत, दोहे, हिंदी ग़ज़ल, क्षणिकाएं, हाइकू व हास्य-काव्य पढ़ें। हिंदी कवियों का काव्य संकलन आपको भेंट!

Articles Under this Category

कबीर वाणी  - नरेंद्र शर्मा

हिन्दुअन की हिन्दुआई देखी
तुरकन की तुरकाई !
सदियों रहे साथ, पर दोनों
पानी तेल सरीखे ;
हम दोनों को एक दूसरे के
दुर्गुन ही दीखे !
...

पूजा गीत  - धर्मवीर भारती | Dhramvir Bharti

जिस दिन अपनी हर आस्था तिनके-सी टूटे
जिस दिन अपने अन्तरतम के विश्वास सभी निकले झूठे !
उस दिन
होंगे वे कौन चरण
जिनमें इस लक्ष्यभ्रष्ट मन को मिल पायेगी
अन्त में शरण ?
...

संजय भारद्वाज की दो कविताएं - संजय भारद्वाज

जाता साल

(संवाद 2018 से)
...

नव वर्ष  - सोहनलाल द्विवेदी

स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, नूतन-निर्माण लिये,
इस महा जागरण के युग में
जाग्रत जीवन अभिमान लिये;

...

जय हिन्दी  - रघुवीर शरण

जय हिन्दी ! जय देव नागरी ! जय जय भारत माता।
‘तुलसी' 'सूर' और 'मीरा' का जीवन इसमें गाता ॥
नभ से नाद सुनें हिन्दी का, धरती पर हिन्दी हो।
भारत माता के माथे पर हिन्दी की बिन्दी हो ॥
यही राष्ट्र भाषा है अपनी, यही राज भाषा है।
मातृ प्रेम का मधु है इसमें, सब की अभिलाषा है ।
जय जय हिन्दी का जयकारा, कोटि कोटि को भाता ।
जय हिन्दी ! जय देवनागरी ! जय जय भारत माता !!
सारी दुनिया ऊंचे स्वर से- जय जय हिन्दी ! गाये ।
जन जन का मन इस भाषा पर - पूजा फूल चढ़ाये ॥
चलो ! हिमालय की चोटी पर- जय जय हिन्दी गायें ।
हिन्दी की गंगा हिमगिरि से- दुनिया में लहरायें ।
हिन्दी भाषा के भारत में, गीत तिरंगा गाता ।
जय हिन्दी ! जय देवनागरी ! जय जय भारत माता !!
...

नव वर्ष - हरिवंशराय बच्चन

नव वर्ष
हर्ष नव
जीवन उत्कर्ष नव।

...

आओ, नूतन वर्ष मना लें - हरिवंशराय बच्चन

आओ, नूतन वर्ष मना लें!
...

नया साल  - भवानी प्रसाद मिश्र

पिछले साल नया दिन आया,
मैंने उसका गौरव गाया,
कहा, पुराना बीत गया लो,
आया सुख का गीत नया लो!

...

नवल हर्षमय नवल वर्ष यह - सुमित्रानंदन पंत

नवल हर्षमय नवल वर्ष यह,
कल की चिन्ता भूलो क्षण भर;
लाला के रँग की हाला भर
प्याला मदिर धरो अधरों पर!
फेन-वलय मृदु बाँह पुलकमय
स्वप्न पाश सी रहे कंठ में,
निष्ठुर गगन हमें जितने क्षण
प्रेयसि, जीवित धरे दया कर!
...

जो दीप बुझ गए हैं - दुष्यंत कुमार

जो दीप बुझ गए हैं
उनका दु:ख सहना क्या,
जो दीप, जलाओगे तुम
उनका कहना क्या,

...

मुबारक हो नया साल  - नागार्जुन

फलाँ-फलाँ इलाके में पड़ा है अकाल
खुसुर-पुसुर करते हैं, ख़ुश हैं बनिया-बकाल
छ्लकती ही रहेगी हमदर्दी साँझ-सकाल
–अनाज रहेगा खत्तियों में बन्द !
...

गए साल की - केदारनाथ अग्रवाल

गए साल की
ठिठकी ठिठकी ठिठुरन
नए साल के
नए सूर्य ने तोड़ी।
...

वर्ष नया - अजित कुमार

कुछ देर अजब पानी बरसा ।
बिजली तड़पी, कौंधा लपका ।
फिर घुटा-घुटा सा,
घिरा-घिरा
हो गया गगन का उत्तर-पूरब तरफ़ सिरा ।

...

शुभकामनाएँ - कुमार विकल

मैं भेजना चाहता हूँ
नए वर्ष की शुभकामनाएँ
दिसंबर की उजली धूप की
बची-खुची सद्भावनाएँ
किंतु कौन स्वीकार करेगा
मेरे उदास मन की भावनाएँ
क्योंकि मेरे प्रियजन जानते हैं
आजकल
मैं निराश मन हूँ
हताश तन हूँ।

...

नया वर्ष - डॉ० राणा प्रताप गन्नौरी राणा

नया वर्ष आया नया वर्ष आया,
नया हर्ष लाया नया हर्ष लाया ।

...

काश! नए वर्ष में - हलीम 'आईना'

काश! नए वर्ष में
ऐसा हो जाए।
कुर्सी हथियाने के बाद भी
हर एक सत्ताधारी
चुनाव पूर्व वाली
विनम्रता दिखलाए ।

...

नववर्ष पर.. - अमिता शर्मा

नव उमंग दो नव तरंग दो
नव उत्साह दो नव प्रवाह दो
शुभ संकल्पों से सुवासित
जीवन में जीवन भर दो ।

...

नये बरस में कोई बात नयी - रोहित कुमार 'हैप्पी'

नये बरस में कोई बात नयी चल कर लें
तुम ने प्रेम की लिखी है कथायें तो बहुत
किसी बेबस के दिल की 'आह' जाके चल सुन लें
तू अगर साथ चले जाके उसका ग़म हर लें
नये बरस में कोई बात नयी चल कर लें.....

...

नये साल का पृष्ठ - शिवशंकर वशिष्ठ

एक साल कम हुआ और इस जीवन का,
नये साल का पृष्ठ खोलने वाले सुन!
छोटी-सी है जान बबाल सैकड़ों हैं,
छुटकारे का आँख खोलकर रस्ता चुन!

...

वो था सुभाष, वो था सुभाष - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

वो भी तो ख़ुश रह सकता था
महलों और चौबारों में।
उसको लेकिन क्या लेना था,
तख्तों-ताज-मीनारों से!
         वो था सुभाष, वो था सुभाष!
...

काश! मैं भगवान होता - दुष्यंत कुमार | Dushyant Kumar

काश! मैं भगवान होता
तब न पैसे के लिए यों
हाथ फैलाता भिखारी
तब न लेकर कोर मुख से
श्वान के खाता भिखारी
तब न यों परिवीत चिथड़ों में
शिशिर से कंपकंपाता
तब न मानव दीनता औ'
याचना पर थूक जाता
तब न धन के गर्व में यों
सूझती मस्ती किसी को
तब ना अस्मत निर्धनों की
सूझती सस्ती किसी को
तब न अस्मत निर्धनों की
सूझती सस्ती किसी को
तब न भाई भाइयों पर
इस तरह खंजर उठाता
तब न भाई भगनियों का
खींचता परिधान होता
काश! मैं भगवान होता।
...

हिन्दी गान  -  महेश श्रीवास्तव

भाषा संस्कृति प्राण देश के इनके रहते राष्ट्र रहेगा।
हिन्दी का जय घोष गुँजाकर भारत माँ का मान बढ़ेगा।।

...

तुमने कुछ नहीं कहा  - अशोक लव

तुम्हारे चले जाने से पूर्व
तुमसे कितनी-कितनी बातें करनी थीं
कितना कुछ जानना था ।
तुम बोलने में असमर्थ थी
और मैं
वर्षों संग जिए क्षणों को जी लेना चाहता था
मृत्यु तुम्हारे सिरहाने मंडरा रही थी
मैं तुम्हें बताना चाहता था
पर बताने की सामर्थ्य कहाँ थी !
बता भी देता तो क्या होता !
विदा के क्षण और पीड़ामय हो जाते।
झूठे आश्वासनों को तुम सुनती थी
और मैं प्रतिदिन आश्वासन देता चला जाता था।
तुम्हारे सिर पर हाथ फेरते हुए
तुम्हारे अश्रु-कणों को पोंछते हुए
देखता था -
तुम्हारी आँखों में
फिर से मेरे साथ जीने की ललक के स्वप्न,
मेरे हाथों पर अभी भी है
तुम्हारे हाथों के कसाव की गर्माहट
पर विवशता थी
तुम्हें अकेले छोड़ने की
अस्पताल के अपरिचित डाक्टरों - नर्सों के पास।
कितने-कितने वर्षों के चित्र
आँखों के समक्ष तैरते
बेंच पर अकेले बैठे
अश्रुकणों के अविरल प्रवाहों के संग
तुम तैरती रहती मेरी स्मृतियों में।
एक-एक दिन आता
मैं हर पल मरता जाता
और जिस क्षण तुमने अंतिम श्वास लिए
और तुम्हारे हाथ का कसाव ढीला पड़ गया
तुम्हारे संग ही
मेरा संसार भी मर गया।
बस यही कसक लिए जीने की विवशता है
तुमने जाने से पूर्व कुछ नहीं कहा
कहती भी कैसे -
मुख पर लगी ट्यूब्स ने
तुम्हें बोलने ही नहीं दिया।
किसी के बिना कैसे जीवित रहा जा सकता है
किसी पुस्तक में नहीं लिखा है
तुम बोल सकती तो बता जाती।
...

किसान  - सत्यनारायण लाल

नहीं हुआ है अभी सवेरा
पूरब की लाली पहचान
चिड़ियों के जगने से पहले
खाट छोड़ उठ गया किसान ।
...

सबसे ख़तरनाक - अवतार सिंह संधू 'पाश'

मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
ग़द्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती
...

सुनो, तुम्हें ललकार रहा हूँ - अज्ञेय | Ajneya

सुनो, तुम्हें ललकार रहा हूँ, सुनो घृणा का गान!
...

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश