जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
लोक-कथाएं
क्षेत्र विशेष में प्रचलित जनश्रुति आधारित कथाओं को लोक कथा कहा जाता है। ये लोक-कथाएं दंत कथाओं के रूप में एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में प्रचलित होती आई हैं। हमारे देश में और दुनिया में छोटा-बड़ा शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे लोक-कथाओं के पढ़ने या सुनने में रूचि न हो। हमारे देहात में अभी भी चौपाल पर गांववासी बड़े ही रोचक ढंग से लोक-कथाएं सुनते-सुनाते हैं। हमने यहाँ भारत के विभिन्न राज्यों में प्रचलित लोक-कथाएं संकलित करने का प्रयास किया है।

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हाथियों के पंख - भारत-दर्शन संकलन

अरुणाचल प्रदेश में घने जंगल हैं। वर्षा भी खूब होती है। इन जंगलों में बड़े खूँखार हाथी पाए जाते हैं। बहुत पुराने जमाने की बात है। एक साल खूब वर्षा हुई। जंगल में साँप, बिच्छू व दूसरे जहरीले जीव पैदा हो गए। कँटीली झाड़ियों से जंगल पट गया। रास्ते बंद हो गए। ऐसी हालत में विशालकाय हाथियों को घूमने-फिरने में कठिनाई होने लगी। एक दिन सारे हाथी मिलकर ब्रह्माजी के पास गए। उन्होंने अपनी मुसीबत बताई और ब्रह्माजी से प्रार्थना की- "भगवन्, हम आपके बनाए जीव हैं। आप हमारी रक्षा करें। पक्षियों की तरह हमें पंख लगा दें, ताकि हम उड़कर इधर से उधर आ-जा सकें।"
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