अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
हममें फ़र्क़ है (काव्य)    Print  
Author:प्रीता व्यास | न्यूज़ीलैंड
 

तुम्हारा नजरिया भले ही समान हो
मेरे और अख़बार के प्रति,
मगर हममें फ़र्क़ है
सामयिक सूचनाओं से भरा
पहला पेज नहीं हूँ मै
जो समय के साथ रद्दी हो जायेगा
मै तो वो विशिष्ट परिशिष्ट हूँ
जो समय के साथ
संग्रहणीय होता जायेगा
सरसरी नज़र डाल कर
भले ही रद्दी वाले को थमा दो
ध्यान दे लोगे
तो हिफाज़त से
रखने की फ़िक्र करोगे।

-प्रीता व्यास
 न्यूज़ीलैंड

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