परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें। - हरगोविंद सिंह।

लियो टोल्स्टोय | Leo Tolstoy

लियो टोल्स्टोय का जन्म 9 सितम्बर 1828 को रुस में हुआ। टोल्स्टोय एक महान कहानिकार, उपन्यासकार और विचारक थे।

Author's Collection

Total Number Of Record :4

कितनी जमीन?

दो बहने थी। बड़ी का कस्बे में एक सौदागर से विवाह हुआ था। छोटी देहात में किसान के घर ब्याह थी।

बड़ी का अपनी छोटी बहन के यहां आना हुआ। निबटकार दोनों जनी बैठीं तो बातों का सूत चल पड़ा। बड़ी अपने शहर के जीवन की तारीफ करने लगी, ''देखो, कैसे आराम से हम रहते हैं। फैंसी कपड़े और ठाठ के सामान! स्वाद-स्वाद की खाने-पीने की चीजें, और फिर तमाशे-थियेटर, बाग-बगीचे!''

...

More...

तूफ़ान में नाव

कुछ मछुए नाव में जा रहे थे। तूफान आ गया। मछुए डर गये। उन्होंने चप्पू फेंक दिये और भगवान से प्रर्थना करने लगे कि वह उनकी जान बचा दे।

नाव तट से ज्यादा दूर होती हुई नदी में बढ़ी जाती थी। तब एक बुजुर्ग मछुए ने कहा, "चप्पू किसलिये फेंक दिये? भगवान को याद करो, लेकिन नाव को तट की तरफ़ खेते रहो।"

...

More...

घोड़ा और घोड़ी

एक घोड़ी दिन-रात खेत में चरती रहती , हल में जुता नहीं करती थी, जबकि घोड़ा दिन के वक्त हल में जुता रहता और रात को चरता। घोड़ी ने उससे कहा, "किसलिये जुता करते हो? तुम्हारी जगह मैं तो कभी ऐसा न करती। मालिक मुझ पर चाबुक बरसाता, मैं उस पर दुलत्ती चलाती।"

...

More...

हम से सयाने बालक

रूस देश की बात है। ईस्टर के शुरू के दिन थे। बरफ यों गल चला था, पर आँगन में कही-कही अब भी चकते थे। और गलगल कर बरफ का पानी गाँव की गलियों मे ही बहता था।

एक गली में आमने-सामने के घरों से दो लडकियाँ निकली। गली में  पानी था। वह पानी पहले खेतों  में चलकर आता था इससे मैला था। बाहर गली के चौड़े में एक जगह एक खाली तलैया-सी बन गई थी। दोनों लड़कियों में  एक तो बहुत छोटी थी, एक जरा बड़ी थी। उनकी माँओं  ने दोनों  को नये फ्रॉक पहनाये थे। नन्ही का फ्रॉक नीला था और बड़ी का पीली छीट का। और दोनों के सिर पर लाल रूमाल थे। अभी गिरजे से लौटी थीं कि आमने-सामने मिल गई। पहले दोनों ने एक-दूसरे को अपनी फ्रॉक दिखाई और खेलने लगीं। जल्दी ही उनका मन हो उठा कि चलें, पानी मे उछालें मारे। सो छोटी लड़की जूतों और फ्रॉक समेत पानी में बढ़  जाना चाहती थी कि बड़ी ने रोक लिया।

...

More...
Total Number Of Record :4

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें