जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
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प्रतिनिधि निबंधों व समालोचनाओं का संकलन आलेख, लेख और निबंध.

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पांच पर्वों का प्रतीक है दीवाली - भारत-दर्शन संकलन

त्योहार या उत्सव हमारे सुख और हर्षोल्लास के प्रतीक है जो परिस्थिति के अनुसार अपने रंग-रुप और आकार में भिन्न होते हैं। त्योहार मनाने के विधि-विधान भी भिन्न हो सकते है किंतु इनका अभिप्राय आनंद प्राप्ति या किसी विशिष्ट आस्था का संरक्षण होता है। सभी त्योहारों से कोई न कोई पौराणिक कथा अवश्य जुड़ी हुई है और इन कथाओं का संबंध तर्क से न होकर अधिकतर आस्था से होता है। यह भी कहा जा सकता है कि पौराणिक कथाएं प्रतीकात्मक होती हैं।
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सिद्धार्थ मल्होत्रा न्यूजीलैंड पर्यटन के भारतीय दूत  - भारत-दर्शन समाचार

बॉलीवुड के नवोदित अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा को 'न्यूजीलैंड पर्यटन' (Tourism New Zealand) का भारतीय दूत नियुक्त किया गया है। वर्ष 2012 में प्रदर्शित फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से बॉलीवुड में अपने अभिनय-जीवन की शुरूआत करने वाले ‘ब्रदर्स' के 30 वर्षीय अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ‘टूरिज्म न्यूजीलैंड' के पहले भारतीय दूत हैं।
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बच्चों को ‘विश्व बंधुत्व’ की शिक्षा  - डा. जगदीश गांधी

(1) विश्व में वास्तविक शांति की स्थापना के लिए बच्चे ही सबसे सशक्त माध्यम:-
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अमेरिका में हिंदी सर्वाधिक बोले जाने वाली भारतीय भाषा - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

अमेरिका जनगणना ब्यूरो ने अमरीका में बोली जाने वाली सभी भाषाओं के आंकड़े जारी किए हैं।
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ऐसे रोकें, शादी की फिजूलखर्ची - डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Dr Ved Pratap Vaidik

भारतीय समाज में तीन बड़े खर्चे माने जाते हैं। जनम, मरण और परण! कोई कितना ही गरीब हो, उसके दिल में हसरत रहती है कि यदि उसके यहां किसी बच्चे ने जन्म लिया हो या किसी की शादी हो या किसी बुज़ुर्ग की मृत्यु हुई हो तो वह अपने सगे-संबंधियों और मित्रों को इकट्ठा करे और उन्हें कम से कम भोजन तो करवाए। इस इच्छा को गलत कैसे कहा जाए? यह तो स्वाभाविक मानवीय इच्छा है। लेकिन यह इच्छा अक्सर बेकाबू हो जाती है। लोग अपनी चादर के बाहर पाँव पसारने लगते हैं।
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जगन्नाथ पांचवीं बार प्रधानमंत्री - डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Dr Ved Pratap Vaidik

कल रात मोरिशस के प्रधानमंत्री श्री अनिरुद्ध जगन्नाथ के साथ लगभग दो घंटे बात हुई। भोजन करते समय हम दोनों साथ-साथ बैठे थे। उनके साथ मोरिशस और भारत में पहले भी अनिरुद्ध जगन्नाथ पांचवी बार मारिशस के प्रधानमंत्री बनेकई बार भोजन और संवाद हुआ लेकिन इस बार जितनी खुली और अनौपचारिक बात हुई, शायद पहले कभी नहीं हुई। सर शिवसागर रामगुलाम के बाद, जो कि पहले प्रधानमंत्री थे, मोरिशस में प्रधानमंत्री का पद सिर्फ तीन लोगों के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। पहले जगन्नाथजी, दूसरे नवीन रामगुलाम और तीसरे पाॅल बेरांजे। यह संयोग है कि इन तीनों नेताओं से मेरे काफी अच्छे संबंध रहे। पिछले 30-35 वर्षों में हम लोग एक-दूसरे के घर भी आते-जाते रहे लेकिन जब हम भारत-मोरिशस संबंधों की बात करते हैं तो सर शिवसागर रामगुलाम के बाद जो नाम सबसे ज्यादा उभरता है, वह अनिरुद्ध जगन्नाथ का ही है। वे अपना नाम रोमन में फ्रांसीसी शैली में लिखते हैं, जिसका उच्चारण होता है-‘एनीरुड जुगनेट' लेकिन मैं उन्हें उनके शुद्ध हिंदी नाम से ही बुलाता हूं। वे पांचवीं बार मोरिशस के प्रधानमंत्री बने हैं। दुनिया की राजनीति मैं जितनी भी जानता हूं, आज तक मैंने किसी भी ऐसे नेता का नाम नहीं सुना जो अपने देश का पांच बार प्रधानमंत्री चुना गया हो। जगन्नाथजी तो दो बार राष्ट्रपति भी चुने गए। उनकी पत्नी लेडी सरोजनी भी बहुत उदार और सुसंस्कृत महिला हैं। मोरिशस में ही स्वनामधन्य स्व. स्वामी कृष्णानंदजी ने ही इन दोनों से मेरा पहला परिचय करवाया था। जगन्नाथजी के पुत्र भी आजकल सांसद हैं। जगन्नाथजी पिछले 50 साल से भी ज्यादा से मोरिशस की राजनीति में सक्रिय हैं। 86 साल की उम्र में भी उनका उत्साह देखने लायक है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों के बारे में मुझे बहुत विस्तार से बताया लेकिन अब उनकी भाषा में वह तेजाब नहीं दिखाई दिया, जो 30 साल पहले हुआ करता था। वे भारत-मोरिशस संबंधों में चीन या पाकिस्तान को कोई खास बाधा नहीं मानते। हालांकि उनके बढ़ते असर को वे स्वीकार करते हैं। उन्होंने मोरिशस से भारत आनेवाले अरबों रु. के ‘काले धन' की खबरों को निराधार बताया और दुतरफा कराधान समझौते के महत्व को रेखांकित किया। अफ्रीका में फैल रहे आतंकवाद पर जब मैंने चिंता जाहिर की तो उन्होंने कहा मोरिशस में हम काफी सावधान हैं। चिंता की कोई बात नहीं है।
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धनतेरस | पौराणिक लेख - भारत-दर्शन संकलन | Collections

कार्तिक मास में त्रयोदशी का विशेष महत्व है, विशेषत: व्यापारियों और चिकित्सा एवं औषधि विज्ञान के लिए यह दिन अति शुभ माना जाता है।
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