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काव्य |
जब ह्रदय अहं की भावना का परित्याग करके विशुद्ध अनुभूति मात्र रह जाता है, तब वह मुक्त हृदय हो जाता है। हृदय की इस मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है उसे काव्य कहते हैं। कविता मनुष्य को स्वार्थ सम्बन्धों के संकुचित घेरे से ऊपर उठाती है और शेष सृष्टि से रागात्मक संबंध जोड़ने में सहायक होती है। काव्य की अनेक परिभाषाएं दी गई हैं। ये परिभाषाएं आधुनिक हिंदी काव्य के लिए भी सही सिद्ध होती हैं। काव्य सिद्ध चित्त को अलौकिक आनंदानुभूति कराता है तो हृदय के तार झंकृत हो उठते हैं। काव्य में सत्यं शिवं सुंदरम् की भावना भी निहित होती है। जिस काव्य में यह सब कुछ पाया जाता है वह उत्तम काव्य माना जाता है। |
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सूर के पद | Sur Ke Pad - सूरदास | Surdas |
सूरदास के पदों का संकलन - इस पृष्ठ के अंतर्गत सूर के पदों का संकलन यहाँ उपलब्ध करवाया जा रहा है। यदि आपके पास सूरदास से संबंधित सामग्री हैं तो कृपया 'भारत-दर्शन' के साथ साझा करें। |
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तुलसी की चौपाइयां - तुलसीदास | Tulsidas |
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मरण काले - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan |
निराला के देहांत के पश्चात् उनके मृत शरीर का चित्र देखने पर हरिवंशराय बच्चन की लिखी कविता - |
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वह आता -- |
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प्राप्ति | कविता | सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' |
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तोड़ती पत्थर : कविता | सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' |
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यह कवि अपराजेय निराला - राम विलास शर्मा |
यह कवि अपराजेय निराला, |
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फूल और काँटा | Phool Aur Kanta - अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' | Ayodhya Singh Upadhyaya Hariaudh |
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