जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
लोक-कथाएं
क्षेत्र विशेष में प्रचलित जनश्रुति आधारित कथाओं को लोक कथा कहा जाता है। ये लोक-कथाएं दंत कथाओं के रूप में एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में प्रचलित होती आई हैं। हमारे देश में और दुनिया में छोटा-बड़ा शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे लोक-कथाओं के पढ़ने या सुनने में रूचि न हो। हमारे देहात में अभी भी चौपाल पर गांववासी बड़े ही रोचक ढंग से लोक-कथाएं सुनते-सुनाते हैं। हमने यहाँ भारत के विभिन्न राज्यों में प्रचलित लोक-कथाएं संकलित करने का प्रयास किया है।

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भगवान सबका एक है | लोक-कथा - नीरा सक्सेना

पेरिस में इब्राहीम नाम का एक आदमी अपनी बीवी और बच्चों के साथ एक मोंपड़ी में रहता था। वह एक साधारण गृहस्थ था, पर था बड़ा धर्मात्मा और परोपकारी । उसका घर शहर से दस मील दूर था। उसकी झोपड़ी के पास से एक पतलीसी सड़क जाती थी। एक गाँव से दूसरे गाँव को यात्री इसी सड़क से होकर आते-जाते थे।
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