प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
 

जब फागुन रंग झमकते हों | होली नज़्म

जब फागुन रंग झमकते हों 

[ नज़ीर अकबराबादी की होली नज़्म को फागुन के यादगार गीत के  रूप में छाया गांगुली की आवाज़ में सुनिए।]

जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की,
और डफ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की,
परियों के रंग दमकते हों तब देख बहारें होली की,
खुम, शीशे जाम छलकते हों तब देख बहारें होली की,
महबूब नशे में छकते हों तब देख बहारें होली की।

 

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