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साथी, नया वर्ष आया है!वर्ष पुराना, ले, अब जाता,कुछ प्रसन्न सा, कुछ पछताता,दे जी-भर आशीष, बहुत ही इससे तूने दुख पाया है!साथी, नया वर्ष आया है!
उठ इसका स्वागत करने को,स्नेह-बाहुओं में भरने को,नए साल के लिए, देख, यह नई वेदनाएँ लाया है!साथी, नया वर्ष आया है!
उठ, ओ पीड़ा के मतवाले,ले ये तीक्ष्ण-तिक्त-कटु प्याले,ऐसे ही प्यालों का गुण तो तूने जीवन भर गाया है!साथी, नया वर्ष आया है!
- हरिवंश राय बच्चन
[निशा-निमंत्रण]
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