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इन चिराग़ों के उजालों पे न जाना, पीपलये भी अब सीख गए आग लगाना, पीपल
जाने क्यूँ कहता है ये सारा ज़माना, पीपलअच्छा होता नहीं आंगन में लगाना पीपल
गाँव में ज़िन्दा है अब भी वो पुराना पीपलकितने गुमनाम परिन्दों का ठिकाना पीपल
ख़ुद में सिमटा है अमीरी का ज़माना, पीपलअपने ही पास रखो अपना ख़ज़ाना, पीपल
आंधियों का कोई मुख़बिर न छुपा हो इनमेंहर मुसाफ़िर से न हर बात बताना, पीपल
- राजगोपाल सिंह
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