जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।

चाचा नेहरू, तुम्हें प्रणाम | बाल-दिवस कविता

 (बाल-साहित्य ) 
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रचनाकार:

 भारत-दर्शन संकलन | Collections

तुमने किया स्वदेश स्वतंत्र, फूंका देश-प्रेम का मन्त्र,
आजादी के दीवानों में पाया पावन यश अभिराम !
चाचा नेहरू, तुम्हें प्रणाम !

सबको दिया ह्रदय का प्यार, चाहा जन-जन का उद्धार,
भारत माता की सेवा में, समझ लिया आराम हराम !
चाचा नेहरू, तुम्हें प्रणाम !

पंचशील का गाया गान, विश्व -शांति की छेड़ी तान,
दुनियां को माना परिवार, बही प्रेम-सरिता अविराम !
चाचा नेहरू, तुम्हें प्रणाम !

पाकर तुम-सा अनुपम लाल, हुआ देश का ऊँचा भाल,
भूल नहीं सकते तुमको हम, अमर रहेगा युग-युग नाम !
चाचा नेहरू, तुम्हें प्रणाम !

- विनोदचंद्र पाण्डेय 'विनोद'
साभार - चुने हुए राष्ट्रीय गीत
संपादक- डा मीना अग्रवाल, विद्या विहार

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