यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।

हिन्दी–दिवस नहीं, हिन्दी डे

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

हिन्दी दिवस पर
एक नेता जी
बतिया रहे थे,
'मेरी पब्लिक से
ये रिक्वेस्ट है
कि वे हिन्दी अपनाएं
इसे नेशनवाइड पापुलर लेंगुएज बनाएं
और
हिन्दी को नेशनल लेंगुएज बनाने की
अपनी डयूटी निभाएं।'

'थैंक्यू' करके नेताजी ने विराम लिया।

जनता ने क्लैपिंग लगाई
कुछ लेडिज -
'वेल डन! वेल डन!!' चिल्लाईं।

'सब अँग्रेज़ी बोल रहे है..'
'हिन्दी-दिवस?'...मैं बुदबुदाया।

'हिन्दी दिवस नहीं, बे! हिन्दी डे!'
साथ वाले ने मुझ अल्पज्ञानी को समझाया।

-रोहित कुमार 'हैप्पी'

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश