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मुट्ठी भर रंग अम्बर में किसने है दे माराआज तिरंगा दीखता है अम्बर मोहे सारा
आज ब्रज बन जाएगा नगर अपना साराआज रंगा ले हमसे रे मुखड़ा अपना प्यारा
'बुरा ना मानो होली है' होती आज ठिठोली हैआज ना चलने पाएगा जादू कोई तुम्हारा देखो आज तो होली है भीगी उसकी चोली हैकरते लोग ठिठोली है, डरे मनवा हमारा
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