और बुलडोज़र गिरफ़्तार हो गया

 (विविध) 
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रचनाकार:

 प्रो. राजेश कुमार

यह इतना आसान काम नहीं था, लेकिन आखिर पुलिस ने अपनी मुस्तैदी से बुलडोज़र को गिरफ़्तार कर ही लिया। बुलडोज़र के लिए हथकड़ी अभी तक नहीं बनी है, इसलिए पुलिस ने उसे रस्सों से बाँधकर ही अपने कब्जे में किया। चारों तरफ़ इस बात से हर्षोल्लास फैल गया, सरकार ने पुलिस की पीठ ठोंकी, और पुलिस ने कहा कि इस बड़ी सफलता के बाद चारों तरफ अमन-चैन, और क़ानून और व्यवस्था कायम हो गई है।

लेकिन बुलडोज़र को अपनी इस गिरफ्तारी पर एतराज़ था, इसलिए उसने दाँत किटकिटाते हुए कहा, “आप मुझे गिरफ़्तार क्यों कर रहे हैं?”

“वैसे तो हम बिना किसी कारण के भी गिरफ़्तार कर सकते हैं। और ये सब इंडियन पीनल कोड में लिखा गया है, हम अच्छी तरह से जानते हैं कि गिरफ़्तार करना है और किसको गिरफ़्तार नहीं करना है। लेकिन इसके बावजूद हमें इसके लिए समय-समय पर निर्देश भी दिए जाते हैं।” इंस्पेक्टर ने जवाब दिया, “लेकिन तुम्हारी गिरफ्तारी ख़ास तौर से ही इसलिए हुई है कि तुमने हज्जाम की हत्या की है।”

“हज्जाम की हत्या, कौन-सा हज्जाम!” बुलडोज़र ने हैरत के साथ कहा, “लेकिन मैं तो किसी हज्जाम को नहीं जानता!”

“किसी हत्यारे ने आज तक कहा है कि मैंने हत्या की है?” इंस्पेक्टर के पास जवाब मौजूद था, “थाने चलो, तो हम तुम्हारा परिचय उससे करवा देंगे, और तुझसे मनवा भी लेंगे कि तूने ही हत्या की है।”

“लेकिन सब तरफ तो ख़बर है कि उसकी हत्या दूसरे दो लोगों ने की है, उन्होंने हत्या का वीडियो भी बनाया है, और उसके बाद उन्होंने अपना वीडियो बनाकर भी बताया है कि यह हत्या उन्होंने की है।” बुल्डोज़र सारी मालूमात के साथ तैयार था, “तो फिर उसकी हत्या मैं कैसे कर सकता हूँ?”

“हमने उन दोनों को भी पकड़ लिया है,” इंस्पेक्टर ने जवाब दिया, “और उनका बयान है कि उन्होंने यह हत्या नहीं की, और वे तो बस जरिया हैं। उन्होंने तो बस उस महिला के बयान के खिलाफ़ अपना विरोध दर्ज करने किया है जो उसने उनके धार्मिक गुरु के बारे में दिया था। उन्होंने यह भी कहा है कि इससे पहले भी लोग उनके धर्म के लोगों की लिंचिंग कर रहे थे, लोगों को उन्हें सरेआम गोली मारने के लिए उकसा रहे थे, लिंचिंग करने वालों का सम्मान किया जा रहा था, उनकी स्त्रियों के प्रति अभद्र बातें की जा रही थी, और इन सबके बाद जब ये बनाना बयान आया, तो फिर उनका विरोध तो बनता है।”

“तो ठीक है, आप उस महिला और बाकी लोगों को पकड़िए।” बुलडोज़र ने पुलिस की बुद्धि पर तरस खाते हुए कहा।

“हम उस महिला को पकड़ने के लिए गए थे,” पुलिस ने जानकारी दी, “लेकिन उसका कहना है कि उसने वह बयान इसलिए दिया था क्योंकि विधर्मियों ने दंगे कर दिए थे, जिसमें उसके धर्म के लोगों को जान-माल का नुक़सान हुआ था।”

“हाँ, तू दंगे करने वालों को पकड़िए।” बुल्डोज़र ने निर्देश जैसा देते हुए कहा।

“हम उनके पास भी गए थे,” इंस्पेक्टर ने बताया, “लेकिन उन लोगों का कहना है कि दंगे होते नहीं है, बल्कि दंगे करवाए जाते हैं, और हम भी उनकी इस बात से सहमत हैं। उन्होंने बताया की दंगे करवाने के लिए उन्हें पैसे दिए गए थे।”

“तो फिर इतनी सीधी सी बात आपको समझ में क्यों नहीं आती?” बुलडोज़र ने कहा, “आप उसे जाके पकड़िए, जिसने दंगे करवाए है।”

“हम लोग उनके पास भी गए थे,” इंस्पेक्टर ने आगे बताया, “लेकिन उन लोगों का कहना है कि वे इस बात से तैश में आ गए थे कि उनके घरों और दुकानों को बिना किसी अपराध की बुलडोज़र से गिरा दिया था। यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी फ़ैसला दिया हुआ है कि बिना किसी कारण के किसी के घर, दुकानों आदि को बुलडोज़र से नहीं गिराया जा सकता। इसके बावजूद तुमने उन लोगों के घरों, दुकानों वगैरह को गिराकर उन्हें बेघर और कर दिया है और उनका रोज़गार छीन लिया है। इसी अपराध के कारण तुम्हारी गिरफ़्तारी की जा रही है।”

“लेकिन क्या आपको नहीं पता कि बुल्डोज़र यानी कि मैं अपने आप कोई भी काम नहीं कर सकता।” बुल्डोज़र ने अपनी कार्य-प्रणाली समझाने की कोशिश की, “जब तक कोई मुझे न चलाएँ, तब तक मैं कुछ नहीं कर सकता है। जब मैं बंद होता हूँ, तो बंदर और बच्चे मेरे साथ खेलते रहते हैं, और उनको कोई नुक़सान नहीं होता। और मैं तो इतने अच्छे काम करता हूँ, मनुष्य की इतनी मदद करता हूँ कि बेकार चीज़ों को गिरा देता हूँ, मलबे को साफ़ कर देता हूँ, गड्ढे खोद देता हूँ, और उन्हें भर भी देता हूँ। तो इतने सब अच्छे काम करने पर तो मेरी तारीफ़ होनी चाहिए, न कि मुझे गिरफ़्तार किया जाना चाहिए। तुम्हें जाकर उसे पकड़ना चाहिए, जिसने मेरा उपयोग करके ये घर और दुकानें वगैरह गिराई हैं। इसमें मेरा कोई अपराध नहीं है।”

“उसी ने हमें तुम्हें गिरफ़्तार करने के निर्देश दिए हैं, और बताया है कि सारा दोष तुम्हारा है।” इंस्पेक्टर ने बताया, “उसने कहा है कि अगर वे कुछ ग़लत काम कर भी रहे थे, तो तुम्हें तो क़ानून का पालन करना चाहिए था और घरों, दुकानों को नहीं तोड़ना था, बल्कि उन्हें भी सलाह देनी चाहिए थी कि यह काम न करें, क्योंकि यह गैर-क़ानूनी है। तो तुम्हें गिरफ़्तार किया जाता है, और यह याद रखना है कि तुम जो कुछ भी बोलोगे, उसे तुम्हारे खिलाफ़ इस्तेमाल किया जा सकता है।”

इसके बाद बेचारा बुलडोज़र क्या बोलता, उसकी तो बोलती ही बंद हो गई थी!

-प्रो. राजेश कुमार

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