सड़कों पे ढले साये | कविता

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 उपेन्द्रनाथ अश्क | Upendranath Ashk

सड़कों पे ढले साये 
दिन बीत गया, राहें
हम देख न उकताये! 

सड़कों पे ढले साये 
जिनको न कभी आना,
वे याद हमें आये!

सड़कों पे ढले साये
जो दुख से चिर-परिचित
कब दुख से घबराये!

-उपेन्द्रनाथ अश्क

 

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें