अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

मोनू का उत्पात

 (बाल-साहित्य ) 
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रचनाकार:

 डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav

पापाजी का पैन चुरा कर
मूँछ बनाई मोनू ने।
दादा जी का बेंत उठाकर
पूंछ लगाई मोनू ने।

करने लगे उत्पात अनेक
उछल-उछल कर फिर घर में
किया नाक में दम सभी का
मोनू जी ने पल-भर में।

मम्मी के समझाने से भी
न मोनू महाशय माने।
डंडाजी जब दिए दिखाई,
तब आये होश ठिकाने।

-डॉ रामनिवास मानव
[ धूम मचाते मोनू जी, अनुपम प्रकाशन, जयपुर ]

 

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