यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।

रणनीति

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 अनिल जोशी | Anil Joshi

छुपा लेता हूँ
अपने आक्रोश को नाखून में
छुपा लेता हूँ
अपने विरोध को दांतों में
बदल देता हूँ
अपमान को हँसी में
आत्मसम्मान पर होने वाले हर प्रहार से
सींचता हूँ जिजीविषा को
नहीं! ना पोस्टर, ना नारे, ना इंकलाब
मन के गहरे पोखर से
ढूंढ कर लाता हूँ
शब्द
पकाता हूँ उसे भीतर की आंच पर
बदलता हूँ कविता में
लाकर रख देता हूँ
मोर्चे पर

- अनिल जोशी
   उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल  
   शिक्षा मंत्रालय, भारत

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश