यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।

हम दुनिया की शान

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 डॉ रमेश पोखरियाल निशंक

हिदुभूमि के निवासी, हम दुनिया की शान हैं।
रंग-रूप सब भिन्न-भिन्न पर
राष्ट्र मन सब एक हैं,
भाव सभी के एक सरीखे
भाषा चाहे अनेक हैं।
हम परहित न्यौछावर होकर जीवन देते दान हैं
हिदुभूमि के निवासी हम दुनिया की शान हैं।

लक्ष्य रहा सर्वोच्च हमारा
और इरादे नेक हैं,
हिद देश के निवासी
हम सभी एक हैं।
हम भारत के मानबिंदु का करते नित सम्मान हैं,
हिदुभूमि के निवासी हम दुनिया की शान हैं।

शक्ति-शील-सौंदर्य लिए
निर्बल को दिया सहारा है,
‘सर्वे भवन्तु सुखिनः' का
रहा हमारा नारा है।
देशहित बलिदान दिए जाने के हमारे गान हैं,
हिदुभूमि के निवासी हम दुनिया की शान हैं।

-रमेश पोखरियाल ‘निशंक'
[मातृभूमि के लिए]

 

 

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