भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।

कुछ न किसी से कहें जनाब | ग़ज़ल

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 रेखा राजवंशी | ऑस्ट्रेलिया

कुछ न किसी से कहें जनाब
अच्छा है चुप रहें जनाब

दुनिया बेहद जालिम है
हंसके सब कुछ सहें जनाब

पत्थर से न सख्त रहें
पानी बन के बहें जनाब

और कभी तो खोलें भी
अपने मन की तहें जनाब

कुछ तो मज़बूती रखिये
बालू से न ढहें जनाब

राजमहल को क्यों देखें
जितना है खुश रहें जनाब

-रेखा राजवंशी, ऑस्ट्रेलिया

 

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश