अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

श्रमिक का गीत

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

रहा हाड़ ना मास मेरा
जानूँ हूँ इतिहास तेरा।

हम धरती पर तंग हुए
देवलोक में वास तेरा।
          जानूँ हूँ इतिहास तेरा॥
 
खाऊँ, ओड़ूँ, इसे बिछौऊं
किया बड़ा विश्वास तेरा।
           जानूँ हूँ इतिहास तेरा॥

जो चाहे तू वो मैं बोलूँ
ना बंधुआ, ना दास तेरा।
           जानूँ हूँ इतिहास तेरा॥

'रोहित' सुन ले बात ध्यान से
वरना हो जाये नास तेरा।
        जानूँ हूँ इतिहास तेरा॥

         - रोहित कुमार ‘हैप्पी'

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