भारत-दर्शन :: इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
चींचीं चींचींकर के तो मैंचिड़िया तो नहींबन जाती हूं।
चूंचूं चूंचूंकरके तो मैंचूहा तो नहीं बन जाती हूं।
मेंमें मेंमेंकरके तो मैंबकरी तो नहींबन जाती हूं।
पर सीख कर अच्छी बातेंअच्छी लड़कीबन जाती हूं।
-दिविक रमेश
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें