अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
प्यारे बच्चो | बाल कविता (बाल-साहित्य )    Print this  
Author:डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'

सुबह सवेरे उठकर बच्चो!
मात-पिता को शीश नवाओ ।
दातुन कुल्ला करके प्रतिदिन,
मुँह की बदबू दूर भगाओ ।


तन को स्वस्थ बना रखने को,
नित व्यायाम करो हल्का-सा ।
ताजे़ जल से रोज नहाकर,
कुछ क्षण नाम जपो ईश्वर का ।


कभी न गंदे वस्त्र पहनना,
सदा साफ़ औ' सुथरे रहना ।
अच्छे कहलाना चाहो तो,
करना सदा बड़ों का कहना ।


झूठ बनाना पड़ता बच्चो!
सच्चाई है बनी बनाई ।
सदा सत्य ही जो कहता है,
मिलती जग में उसे बड़ाई ।


सदा लगाओ मन पढ़ने में,
कभी न पढ़ने से मुँह मोडो ।
डरो नहीं तुम कभी किसी से,
कभी नहीं साहस को छोड़ो ।

-डा राणा प्रताप सिंह 'राणा'

[मीठे बोल]

 

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