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हम भी काट रहे बनवासजावेंगे अयोध्या नहीं आस
पडूं रावण पर कैसे मैं भारीनहीं लक्ष्मण भी है मेरे पास
यहाँ रावण-विभीषण हैं साथकरूं लँका का कैसे मैं नास
कौन फूँकेगा सोने की लँकायहाँ है कहाँ हनुमन-सा दास
सीया बैठी है कितनी उदासराम आवेंगे है उसको आस
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
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