यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
पहचान | लघु-कथा (कथा-कहानी)    Print this  
Author:कन्हैया लाल मिश्र 'प्रभाकर' | Kanhaiyalal Mishra 'Prabhakar'

'मैं अपना काम ठीक-ठाक करुंगा और उसका पूरा-पूरा फल पाऊंगा!'  यह एक ने कहा।

'मैं अपना काम ठीक-ठाक करुंगा और निश्चय ही भगवान उसका पूरा फल मुझे देंगे!'  यह दूसरे ने कहा।

'मैं अपना काम ठीक करुंगा। फल के बारे में सोचना मेरा काम नहीं।'  यह तीसरे ने कहा।

'मैं काम-काज और फल, दोनों के झमेले में नहीं पड़ता। जो होता है, सब ठीक है। जो होगा सब ठीक होगा।'  यह चौथे ने कहा।

आकाश सबकी सुन रहा था।  उसने कहा, 'पहला गृहस्थ है, दूसरा भक्त है, तीसरा ज्ञानी है, पर चौथा परमहंस है या अहदी (आलसी); यह मैं कह नहीं सकता!'

- कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर

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Short Stories by Kanhaiyalal Mishra Prabhakar
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की लघु-कथाएं

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