लोलुप शृंगाल  (कथा-कहानी)    Print this  
Author:भारत-दर्शन संकलन | Collections

एक नदी के किनारे दो भेड़ लड़ रहे थे। क्रोध से दोनों भेड़ दूर हट-हट करके पुनः एकत्र होकर मस्तकों से एक-दूसरे पर प्रहार कर रहे थे। उन दोनों के मस्तक से रुधिर निकलने लगा। इसी बीच वहाँ एक शृंगाल आ पहुंचा और वहाँ बहती हुई रुधिर की धारा को देखकर लोभ में दोनों के बीच में घुसकर रुधिर पीने लगा। इसके बाद उन दोनों के मस्तक के प्रहार के बीच में पड़कर शृंगाल मर गया।

शिक्षा : जब दो लोग कलह कर रहे हों तो बीच में शृंगाल की तरह नहीं घुसना चाहिए।

[प्रबंधपञ्चशती]

 

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