देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को (काव्य)    Print this  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

हम अपने मन के मालिक हैं
अपने दिल की करते हैं,
अपने शब्द जीया करते हैं
और उन्हीं पे मरते हैं।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

हमको वक्त के पन्नों पर
इतिहास रचाना आता है,
सिंहासन की नीवों को भी
हमें हिलाना आता है।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

आँखों का जल सूख चुका, अब
दिल में उठी ज्वाला है,
बूंद-बूंद को तरसे जनता
तेरे हाथ में प्याला है।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

भाषण नारे जलसों का भी
जादू सदा नहीं चलता,
तेरे झूठे वादों से तो
कोई पेट नहीं भरता।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

सेवक खुद को कहते हो
पर सेवा नहीं कभी करते,
सीमाओं पर हम मरते हैं
तुम तो कभी नहीं मरते।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

-रोहित कुमार हैप्पी

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें