अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
बेटी को उसके अठाहरवें जन्मदिन पर पत्र  (काव्य)    Print this  
Author:अनिल जोशी | Anil Joshi

आशा है तुम सकुशल होगी
शुभकामनाएं और
तुम्हारी भावी यात्रा के बारे में कुछ राय

सुनो तुम्हें क्या पता है कि
तुम यहाँ से एक गंध लेकर गई थी
अनचाही गंध

गंध तुम्हारी मां के मसालों की
उसकी झिड़कियों
उसके प्यार की
गंध किताबों के शैल्फ की
मेरे स्टडी रूम के
दरवाजे, खिड़कियों से छन -छन कर
तुम्हारे भीतर चाहे -अनचाहे
चले गए विचार की

मैं जानता हूँ
तुम्हें यह गंध पसंद नहीं
पर यह गंध तुम्हारे साथ चलेगी
लोग तुम्हें इसी गंध से ही पहचानेंगे
और
एक दिन तुम इस गंध की अभ्यस्त हो जाओगी
और
शायद इससे प्यार करने लगो
हो सकता है
तुम फिर इसी गंध के आलोक में चीजों को पहचानना शुरू कर दो
मैं जानता हूँ
तुम्हारी हर चीज को अस्वीकार करने की आदत है
लेकिन अकेले में ही सही तुम मानोगी
हो सकता है
हमारे विचारों में ना हो धार
पर एक सद्भावना थी

सुनो मैं सीमाओँ में लुंजपुंज वर्तमान हूँ
और तुम सीमाहीन भविष्य
इसलिए मैं तुम्हें क्या राय दे सकता हूँ

मैं तुम्हें उड़ने से पहले कुछ निर्देश नहीं देना चाहता
चूँकि मैं जानता हूँ कि गिरना उड़ान का ही हिस्सा है

यात्रा की थकान , दिशाभ्रम , संशय , यात्रा के जोखम
तुम्हारे व्यक्तित्व को अलाव की तरह प्रकाशित कर देंगे
जिसके प्रकाश में लोग पाएँगे अपनी मंजिल

हर स्थिति में तुम्हारे पास एक ताली है
व्यक्ति नहीं , पुस्तक नहीं
आत्मा का विवेक
घनघोर अंधेर में उससे पूछना प्रश्न
वह तुम्हें उत्तर देगा
अगर तुम मान लोगी
तो तुम्हें थपथपा कर तुममें गुम हो जाएगा
अगर उसकी नहीं मानोगी तो प्रश्न की तरह खड़ा रहेगा
जैसे यम के सामने खड़ा रहा था नचिकेता
भूखा -प्यासा , जिद्दी , हठी, अडिग
ठीक तुम्हारी तरह

मैं देखता हूँ तुम्हें
एक लड़की से एक चिड़िया
फिर एक लकीर
फिर एक बिंदु बन
अंतरिक्ष में गुम होते हुए
कितने ग्रह , उपग्रह , अंतरिक्षों के अनचीन्हें स्थल
इंतजार में है
कि तुम वहां तक पहुंचो
उन्हें स्पर्श कर
उन्हें जीवन दो
उनके अस्तित्तव की घोषणा करो
और उनका व अपना होना सार्थक करो
मैं तुम्हें अठारहवें जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूँ

 

- अनिल जोशी
   उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल  
   शिक्षा मंत्रालय, भारत

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश