न्यूज़ीलैंड में हिंदी (विविध)    Print this  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

न्यूज़ीलैंड में हिंदी : एक संक्षिप्त विवरण
पृष्ठभूमि

न्यूज़ीलैंड या आओटियारोआ दक्षिण प्रशान्त महासागर में ऑस्ट्रेलिया के 2000 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह क्षेत्रफल व आकार की दृष्टि से जापान से कुछ छोटा व ब्रिटेन से थोड़ा सा बड़ा कहा जा सकता है। न्यूज़ीलैंड की राजधानी वैलिंगटन है तथा सबसे बड़ा शहर ऑकलैंड है। ऑकलैंड न्यूज़ीलैंड की वाणिज्य राजधानी है।

हिंदी न्यूज़ीलैंड में सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषाओं में पांचवें स्थान पर है।

 

वैब हिंदी शिक्षण

न्यूज़ीलैंड में 1996-97 में हिंदी पत्रिका भारत-दर्शन के प्रयास से एक वेब आधारित ‘हिंदी-टीचर' का आरम्भ किया गया। यह प्रयास पूर्णतया निजी था।


सनद रहे
‘एक्सेस कम्युनिटी रेडियो' हिंदी कार्यक्रमों का प्रसारण करने वाला पहला रेडियो था।

‘रेडियो तराना' का प्रसारण 15 जून 1996 से आरंभ हुआ था।

इस समय ‘रेडियो तराना', ‘एक्सेस कम्युनिटी रेडियो' , ‘अपना एफ.एम', ‘रेडियो स्पाइस', ‘हम्म रेडियो‘ इत्यादि अनेक रेडियो अपना प्रसारण कर रहे हैं।


हिंदी पत्रकारिता

आरंभ
न्यूज़ीलैंड की हिंदी पत्रकारिता का अध्याय 1996 में 'भारत-दर्शन' पत्रिका के प्रकाशन से आरम्भ माना जाएगा। यह प्रकाशन बिना किसी सरकारी या गैर-सरकारी आर्थिक सहायता के आरंभ हुआ था और इसका प्रकाशन आज भी जारी है।

मुद्रित संस्करण
1996 में भारत-दर्शन का प्रथम मुद्रित संस्करण प्रकाशित हुआ। भारत-दर्शन का मुद्रण भी पारम्परिक ‘ऑफसेट प्रिंटिंग' न होकर ‘डिजिटल' था।

विश्व का पहला इंटरनेट हिंदी प्रकाशन
1996-1997 में 'भारत-दर्शन' का इंटरनेट संस्करण उपलब्ध करवाया गया, जिसने इस पत्रिका को 'इंटरनेट पर विश्व की पहली हिंदी साहित्यिक पत्रिका' के रूप में स्थापित कर दिया। विश्व को हिंदी वेब पत्रकारिता न्यूज़ीलैंड की देन है।

समाचार पत्र
कूक - मार्च 2005 से जून 2008 के बीच ऑकलैंड से प्रकाशित हुआ, यह हिंदी का पहला समाचार था।

अपना भारत - 2019 में आरंभ हुआ।

Indianz x-press - वैलिंगटन से प्रकाशित इस पत्र में कुछ हिंदी सामग्री रहती है।

न्यूज़ीलैंड में प्रकाशित हिंदी पुस्तकें
न्यूज़ीलैंड के किसी भारतीय मूल के लेखक की पहली पुस्तक 1989 में प्रकाशित, ‘दूसरा रुख़' थी। यह रोहित कुमार ‘हैप्पी' की लघुकथाओं व काव्य का संग्रह था।

इसके बाद ऑकलैंड निवासी स्व. महेंद्र चन्द्र विनोद शर्मा (मास्टर विनोद) की पुस्तक, ‘अनमोल रत्न' 1994 में प्रकाशित हुई।

प्रीता व्यास की ‘माओरी लोक कथाएँ' (2018) विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इसके साथ ही उन्होंने न्यूज़ीलैंड के तीन कवियों का एक काव्य संकलन, ‘सफ़ेद बादलों के देश में' (2019) का संपादन किया है।

न्यूज़ीलैंड के बारे में लिखी गई पहली पुस्तक 1950 में भारत से आधिकारिक दौरे पर आए हिंदी साहित्यकार सेठ गोविंददास ने लिखी थी। ‘सुदूर दक्षिण पूर्व' नामक यह पुस्तक उन्होंने न्यूज़ीलैंड, फीजी और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर लिखी थी।

हिंदी लेखक और साहित्यकार
रोहित कुमार 'हैप्पी', मास्टर विनोद, राजीव वाधावा, पुष्पा भारद्वाज-वुड, नीरू माथुर, रूपा सचदेव, मंजु मिश्रा, सुधा खन्ना, बृजेंद्र सागर, ब्रह्मकुमारी भावना, शरणदास, ब्रिज़िश, शारदा मोंगा, प्रीता व्यास, सोमनाथ गुप्ता, दीपक भारद्वाज, शिव भागीरथ, सुनीता शर्मा, सुनीता नारायण, सुमन कपूर, माधवी श्रीवास्तव व वंदना अभिरुचि न्यूज़ीलैंड में हिंदी लेखन से जुड़े रहे हैं।

उपरोक्त में से कुछ विभिन्न कारणों से इस समय सक्रिय नहीं हैं लेकिन उनका योगदान और सहभागिता सराहनीय रही है।

सनद रहे
न्यूज़ीलैंड पर लिखा गया सबसे पहला आलेख 1930 के ‘विशाल भारत' में प्रकाशित हुआ था। इस आलेख के लेखक डॉ बलवंत सिंह शेर थे।

न्यूज़ीलैंड में आंशिक हिंदी लेखन 1992 में हस्तलिपि से आरंभ हुआ जिसे 'द इंडियन टाइम्स' के माध्यम से रोहित कुमार 'हैप्पी' ने आरंभ किया था।

शैक्षणिक संस्थाएँ

ऑकलैंड में ‘वायटाकरे हिंदी स्कूल', ऑकलैंड का ‘भारतीय समाज', 'ऑकलैंड का पापाटोएटोए हाई स्कूल', 'भारतीय हिन्दू मंदिर' व पूजा कल्चर सेंटर हिंदी शिक्षण में संलग्न हैं।

वैलिंगटन में 'वैलिंगटन हिंदी स्कूल' की तीन शाखाएँ हैं। इस विद्यालय की स्थापना 1992 में अभिभावकों के एक समूह ने की थी। इस समय इसका संचालन सुनीता नारायण करती हैं।

क्राइस्टचर्च में ‘कैंटरबरी हिंदी ट्रस्ट'की स्थापना 2007 में हुई थी। ट्रस्ट सप्ताहांत में हिंदी कक्षाएं चलाता है। इस स्कूल का संचालन ‘कला नंद' करती हैं।

हिमानी मिश्रा ने न्यूज़ीलैंड के दक्षिण नगर ‘इन्वरकार्गिल' में 2019 से एक नया हिंदी स्कूल आरंभ किया है। ‘साउथलैंड हिंदी स्कूल' का उदघाटन 7 फरवरी 2019 को हुआ था।

डॉ टॉड नाचोवित्ज़ पिछले कई वर्षों से हैमिल्टन में हिंदी पढ़ा रहे हैं। सुमन कपूर भी हिंदी की कक्षाएँ दे रही हैं।

सत्या दत्त के नेतृत्व में 2003 में हिंदी भाषा और संस्कृति का प्रचार-प्रसार आरंभ किया गया। 2009 में 'हिंदी लैंगुएज एंड कल्चर ट्रस्ट ऑव न्यूज़ीलैंड' के रूप में इस न्यास का औपचारिक गठन हुआ।

व्यक्तिगत स्तर पर मास्टर अमीचन्द, डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड, मास्टर विनोद, रामकुमार सेवक, मोहन भाई, रूपा सचदेव, सुनीता नारायण, रोहित कुमार 'हैप्पी', सतेन शर्मा इत्यादि का हिंदी शिक्षण में योगदान सराहनीय रहा है।


हिंदी शिक्षण

1945 में सबसे पहले मास्टर अमीचन्द शर्मा ने ऑकलैंड में 'हिंदी शिक्षण' आरंभ किया था।

न्यूज़ीलैंड में 1996-97 में हिंदी पत्रिका भारत-दर्शन के प्रयास से एक वैब आधारित ‘हिंदी-टीचर' का आरम्भ किया गया। यह प्रयास पूर्णतया निजी था।


मील के पत्थर

1930 : पहला हिंदी आलेख प्रकाशित

न्यूज़ीलैंड के डॉ बलवंत सिंह शेर का यह आलेख ‘विशाल भारत' में प्रकाशित हुआ था।

1945 : हिंदी शिक्षण आरंभ

1951 : 1950 में न्यूज़ीलैंड के आधिकारिक दौरे पर आए हिंदी साहित्यकार व सांसद सेठ गोविंददास ने 'सुदूर दक्षिण पूर्व' नामक पुस्तक लिखी जो 1951 में प्रकाशित हुई। इस पुस्तक में न्यूज़ीलैंड के अतिरिक्त उनकी ऑस्ट्रेलिया और फीजी की यात्रा का भी वर्णन है।


1989
‘दूसरा रुख़'-- न्यूज़ीलैंड के किसी भारतीय मूल के लेखक की पहली पुस्तक प्रकाशित।

1992 
हस्तलिपि में आंशिक रूप से 'द इंडियन टाइम्स' में हिंदी प्रकाशन आरंभ।

1992 
'वैलिंगटन हिंदी स्कूल' की स्थापना।

1996
भारत-दर्शन पत्रिका आरंभ।
रेडियो तराना आरंभ।

1996-97
भारत-दर्शन का इंटरनेट संस्करण आरंभ। पत्रिका ने इंटरनेट पर विश्व के पहले हिंदी प्रकाशन के रूप में अपनी ऐतिहासिक उपस्थिति दर्ज़ की। हिंदी के मानचित्र पर 'भारत-दर्शन' के रूप में न्यूज़ीलैंड की पहचान बनी।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

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