देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
यदि देश के हित मरना पड़े (काव्य)    Print this  
Author:रामप्रसाद बिस्मिल

यदि देश के हित मरना पड़े, मुझको सहस्त्रों बार भी,
तो भी न मैं इस कष्ट को, निज ध्यान में लाऊं कभी।
हे ईश! भारतवर्ष में, शत बार मेरा जन्म हो,
कारण सदा ही मृत्यु का, देशोपकारक कर्म हो॥

मरते 'बिस्मिल' रोशन, लाहिड़ी, अशफाक अत्याचार से,
होंगे पैदा सैंकड़ों, उनके रुधिर की धार से॥
उनके प्रबल उद्योग से, उद्धार होगा देश का,
तब नाश होगा सर्वदा, दुख शोक के लव लेश का॥

- रामप्रसाद बिस्मिल
[शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की स्वरचित रचनाएँ]

 

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