अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
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Author:डॉ सुनीता शर्मा | न्यूज़ीलैंड

दोहराता रहेगा इतिहास
भी युगों-युगों तक यह
दुर्योधन - दुशासन की
कुटिल राजनीति की
बिसात पर खेली गयी
द्रौपदी चीर-हरण जैसी
प्रवासी मजदूरों की
अनोखी कहानी,
जब पूरी सभा रही मौन
और मानवता - सिसकती
व कराहती हुई
दम तोड़ती रही थी...
इन प्रश्नों का जवाब
एक दिन ये पीढ़ी तुमसे
अवश्य मांगेगी...
मांगेगी अवश्य।

-डॉ॰ सुनीता शर्मा 
 ऑकलैंड, न्यूज़ीलैंड 
 ई-मेल: adorable_sunita@hotmail.com

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