अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
फिल्म (कथा-कहानी)    Print this  
Author:डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav

फिल्म चल रही थी। जो व्यक्ति अभिनय कर रहा था, न भाव उसके थे, न स्वर और संगीत, यहाँ तक कि फिल्म की पटकथा और संवाद भी किसी और के लिखे हुए थे तथा उसे निर्देशित भी कोई और ही कर रहा था। 

मुझे लगा, वह अभिनेता कोई और नहीं, मैं स्वयं हूँ और मैं कोई फिल्म नहीं देख रहा, बल्कि अपनी ही कहानी सुन रहा हूँ।

-डॉ. रामनिवास ‘मानव'
 भारत

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