प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
हिंदी महारानी है या नौकरानी ? (विविध)    Print this  
Author:डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Dr Ved Pratap Vaidik

आज हिंदी दिवस है। यह कौनसा दिवस है, हिंदी के महारानी बनने का या नौकरानी बनने का ? मैं तो समझता हूं कि आजादी के बाद हिंदी की हालत नौकरानी से भी बदतर हो गई है। आप हिंदी के सहारे सरकार में एक बाबू की नौकरी भी नहीं पा सकते और हिंदी जाने बिना आप देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। इस पर ही मैं पूछता हूं कि हिंदी राजभाषा कैसे हो गई ? आपका राज-काज किस भाषा में चलता है ? अंग्रेजी में ! तो इसका अर्थ क्या हुआ ? हमारी सरकारें हिंदुस्तान की जनता के साथ धोखा कर रही हैं। उसकी आंख में धूल झोंक रही हैं। भारत का प्रामाणिक संविधान अंग्रेजी में हैं। भारत की सभी ऊंची अदालतों की भाषा अंग्रेजी है। सरकार की सारी नीतियां अंग्रेजी में बनती हैं। उन्हें अफसर बनाते हैं और नेता लोग मिट्टी के माधव की तरह उन पर अपने दस्तखत चिपका देते हैं। सारे सांसदों की संसद तक पहुंचने की सीढ़ियां उनकी अपनी भाषाएं होती हैं लेकिन सारे कानून अंग्रेजी में बनते हैं, जिन्हें वे खुद अच्छी तरह से नहीं समझ पाते। बेचारी जनता की परवाह किसको है ? सरकार का सारा महत्वपूर्ण काम-काज अंग्रेजी में होता है। सरकारी नौकरियों की भर्ती में अंग्रेजी अनिवार्य है। उच्च सरकारी नौकरियां पानेवालों में अंग्रेजी माध्यमवालों की भरमार है। उच्च शिक्षा का तो बेड़ा ही गर्क है। चिकित्सा, विज्ञान और गणित की बात जाने दीजिए, समाजशास्त्रीय विषयों में भी उच्च शिक्षा और शोध का माध्यम आज तक अंग्रेजी ही है। आज से 53 साल पहले मैंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का पीएच.डी. का शोधग्रंथ हिंदी में लिखने का आग्रह करके इस गुलामी की जंजीर को तोड़ दिया था लेकिन देश के सारे विश्वविद्यालय अभी भी उस जंजीर में जकड़े हुए हैं। अंग्रेजी भाषा को नहीं उसके वर्चस्व को चुनौती देना आज देश का सबसे पहला काम होना चाहिए लेकिन हिंदी दिवस के नाम पर हमारी सरकारें एक पाखंड, एक रस्म-अदायगी, एक खानापूरी हर साल कर डालती हैं। हमारे महान राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री को चार साल बाद फुर्सत मिली कि अब उन्होंने केंद्रीय हिंदी समिति की बैठक बुलाई। उसकी वेबसाइट अभी तक सिर्फ अंग्रेजी में ही है। यदि देश में कोई सच्चा नेता हो और उसकी सच्ची राष्ट्रवादी सरकार हो तो वह संविधान की धारा 343 को निकाल बाहर करे और हिंदी को राष्ट्रभाषा और अन्य भारतीय भाषाओं को राज-काज भाषाएं बनाए। ऐसा किए बिना यह देश न तो संपन्न बन सकता है, न समतामूलक, न महाशक्ति !


- डॉ. वेदप्रताप वैदिक

 

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