देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
निंदा  (कथा-कहानी)     
Author:शेख़ सादी

शेख़ सादी बाल्यावस्था में अपने पिता के साथ मक्का जा रहे थे। सादी सारी रात कुरान पढ़ते रहे। कई आदमी उनके पास खर्राटे ले रहे थे। सादी ने अपने पिता से कहा, इन सोने वालों को देखिये, कितने आलसी हैं! नमाज़ पढ़ना तो दूर रहा कोई सुबह उठता तक नहीं।

पिता ने उत्‍तर दिया, "बेटा, तू भी सोया रहता तो अच्छा था। किसी की निंदा करने से तो बचा रहता!"

- शेख़ सादी

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