देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
मन्त्र वन्देमातरम् (काव्य)     
Author:भारत-दर्शन संकलन | Collections

हर घड़ी हर बार हो हर ठाम वन्द्देमातरम्।
हर दम हमेशा बोलिये प्रिय मन्त्र वन्देमातरम्॥

हर काम मे हर बात में दिन रात वन्देमातरम्।
जपिये निरन्तर शुद्ध मन से नित्य वन्देमातरम॥

सोते समय, खाते समय, कल गान वन्देमातरम्।
आठो पहर दिल मे उठे मृदु तान वन्देमानरम् ॥

मुख में, हृदय में रात दिन हो जाप्य वन्देमातरन्।
नाड़ियों के रक्त का संचार वन्देमातरम्॥

तेग़ से सिर भी कटे, भूलो न वन्देमातरम्।
मौत की घड़ियां गुँजादो शुद्ध वन्देमातरम्॥

जेल में हो तो जपो यह जाप्य वन्देमातरम्।
बेड़ियों ही को बजाकर गाओ वन्देमातरम्॥

तीर, गोली, तोप की है आड़ वन्देमातरम्।
तेग़ बर्छी के लिये दृढ़ ढाल वन्देमातरम्॥

विश्वविजयी शत्रविजयी मन्त्र वन्देमातरम्॥
'इन्द्र" का दृढ़ कवच है यह शब्द वन्देमातरम्।

                                    - अज्ञात

 

Previous Page  | Index Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश