देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
प्राण वन्देमातरम् (काव्य)     
Author:भारत-दर्शन संकलन | Collections

हम भारतीयों का सदा है, प्राण वन्देमातरम्।
हम भूल सकते है नही शुभ तान वन्देमातरम्॥

देश के ही अन्नजल से बन सका यह खून है।
नाड़ियों में हो रहा संचार वन्देमातरम्॥

स्वाधीनता के मंत्र का है सार वन्देमातरम्।
हर रोम से हर बार हो उबार वन्देमातरम्॥

घूमती तलवार हो सरपर मेरे परवा नही।
दुश्मनो देखो मेरी ललकार वन्देमातरम्॥

धार खूनी खच्चरों की बोथरी हो जायगी।
जब करोड़ों की पड़े झंकार वन्देमातरम्॥

टांग दो सूली पै मुझको खाल मेरी खींच लो।
दम निकलते तक सुनो हुंकार वन्देमातरम्॥

देश से हम को निकालो भेज दो यमलोक को।
जीत ले संसार को गुंजार वन्देमातरम्॥

चौंकते हो क्यों भला तुम मंत्र वन्देमातरम्।
चीर कर देखो कलेजा तंत्र वन्देमातरम्॥

मृत्युशथ्या पर मुझे उल्लास होगा बस तभी।
प्राण यदि छूटे हिलाते तार वन्देमातरम्॥

                                 - अज्ञात

[भारत-दर्शन]

 

Previous Page  | Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश