देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
बच्चों को ‘विश्व बंधुत्व’ की शिक्षा  (विविध)     
Author:डा. जगदीश गांधी

(1) विश्व में वास्तविक शांति की स्थापना के लिए बच्चे ही सबसे सशक्त माध्यम:-

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का मानना था कि विश्व में वास्तविक शांति लाने के लिए बच्चे ही सबसे सशक्त माध्यम हैं। उनका कहना था कि ''यदि हम इस विश्व को वास्तविक शान्ति की सीख देना चाहते हैं और यदि हम युद्ध के विरूद्ध वास्तविक युद्ध छेड़ना चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत हमें बच्चों से करनी होगी।'' इस प्रकार महात्मा गाँधी के 'विश्व बंधुत्व' के सपने को साकार करने के लिए हमें प्रत्येक बालक को बाल्यावस्था से ही भौतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा के साथ ही सार्वभौमिक जीवन-मूल्यों की शिक्षा देकर उसे 'विश्व नागरिक' बनाना होगा। गाँधी जी का मानना था कि ''भविष्य में सारी दुनिया में शांति, सुरक्षा एवं प्रगतिशील विश्व के निर्माण हेतु स्वतंत्र राष्ट्रों के संघ (विश्व सरकार) की अत्यन्त आवश्यकता है, इसके अलावा आधुनिक विश्व की समस्याओं के समाधान हेतु कोई अन्य मार्ग नहीं है।'' राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के इन्हीं विचारों से प्रेरित होकर सिटी मोन्टेसरी स्कूल विगत 13 वर्षों से विश्व सरकार, विश्व संसद तथा विश्व न्यायालय के निर्माण हेतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप 'विश्व के न्यायाधीशों का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन' आयोजित करता आ रहा है।

(2) संयुक्त राष्ट्र संघ ने महात्मा गाँधी के आदर्शों एवं विचारों को विश्वव्यापी मान्यता प्रदान की:-

अहिंसा की नीति के जरिये विष्व भर में शांति के संदेश को बढ़ावा देने के महात्मा गाँधी के योगदान को स्वीकारने के लिए ही 'संयुक्त राष्ट्र संघ' ने महात्मा गाँधी के जन्मदिवस 2 अक्टूबर को 'अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में विश्व भर में प्रतिवर्ष मनाने का निर्णय वर्ष 2007 में लिया। मौजूदा विश्व-व्यवस्था में अहिंसा की सार्थकता को मानते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में भारत द्वारा रखे गये प्रस्ताव को बिना वोटिंग के ही सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। महासभा के कुल 191 सदस्य देशों से 140 से भी ज्यादा देशों ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया। इस प्रस्ताव को भारी संख्या में सदस्य देशों का समर्थन मिलना विश्व में आज भी गाँधी जी के प्रति सम्मान और उनके विश्वव्यापी विचारों और सिद्धांतों की नीति की प्रासंगिकता को दर्शाता है।

(3) बराक ओबामा ने महात्मा गाँधी को अपने प्रेरणा स्रोत के रूप में स्वीकार किया:-

राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अमरीका में बसे भारतीय समुदाय के एक समाचार पत्र इंडिया एब्रोड में प्रकाशित लेख के अनुसार नोबेल शांति पुरस्कार विजेता व अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा ने कहा कि ''मैंने अपने पूरे जीवन में महात्मा गाँधी को एक ऐसे प्रेरणा स्रोत के रूप में देखा है, जिनके पास सामान्य लोगों से भी असाधारण काम करवाने की अद्भुत नेतृत्व करने की प्रतिभा थी।'' अगस्त, 2010 माह में वाशिंगटन में युवा अफ़्रीक़ी नेताओं के मंच की बैठक को संबोधित करते हुए ओबामा ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को अपना प्रेरणा स्रोत बताते हुए कहा कि महाद्वीप में जो बदलाव आप चाहते हैं, उसके लिए आप महात्मा गाँधी का अनुसरण करें। ओबामा ने कहा कि महात्मा गाँधी ने कहा था कि जो बदलाव आप विश्व में देखना चाहते हैं। उसकी शुरुआत आपको स्वयं अपने से करनी होगी।

(4) इजरायल में महात्मा गाँधी को पैगंबर माना जाता है:-

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता व इजरायल के राष्ट्रपति शिमोन पेरेज ने कहा है कि उनके देष में महात्मा गाँधी को पैगंबर माना जाता है और उन्होंने भारत को सहनशीलता का आदर्श बताया। श्री पेरेज ने महात्मा गाँधी के लिये अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि ''अहिंसा और सह-अस्तित्व की उनकी शिक्षा को सबको आचरण में लाना चाहिए।'' श्री पेरेज ने कहा कि भारत ने जिस तरह अनेकता में एकता को बनाए रखा है उसकी सराहना की जानी चाहिए। दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक भारतीय संस्कृति से, लोगों को सह-अस्तित्व सीखने की जरूरत है। बुद्धिमत्ता कभी पुरानी नहीं होती। श्री पेरेज ने यह भी कहा कि ''भारत के राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व करने वाले महात्मा गाँधी मेरे लिये केवल प्रेरणादायक नहीं हैं बल्कि वह एक परिवर्तनकारी थे जिन्होंने अहिंसक सह-अस्तित्व का क्रांतिकारी विचार दिया।''

(5) गाँधी जी के विचारों से प्रेरित है अमेरिका का नागरिक अधिकार आंदोलन:-

अक्टूबर 2009 में अमेरिकी काँग्रेस ने पारित एक प्रस्ताव में कहा कि महात्मा गाँधी के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण ही अमेरिका और भारत के बीच मैत्री संबंधों में तेज़ी से प्रगाढ़ता आ रही है। हाऊस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स के डेमोक्रेट सदस्य एनी फेलेमावेगा ने गांधीजी के संबंध में प्रस्ताव रखा, जिसे सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से पारित करते हुए कहा कि गाँधी जी के सिद्धांत एवं विचार सारे विश्व के लिए हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। यह प्रस्तावना महात्मा गाँधी की 140वीं जयंती के अवसर पर पारित किया गया था। एनी ने कहा ''गाँधी जी के महान कार्यों के बारे में पहले ही काफी कुछ कहा जा चुका है। उनका जीवन काफी महत्वपूर्ण रहा है, हम उन्हें भूल नहीं सकते। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका के बीच आज जो संबंध है, उसे गाँधी के बिना हम नहीं देख सकते हैं।'' एनी ने कहा भले ही उनकी ज़िंदगी बंदूक की गोली से खत्म हो गई लेकिन उनकी विरासत अभी भी 1.5 अरब लोगों के पास है, जो स्वतंत्र देशों में रह रहे हैं। एनी ने कहा कि अमेरिका का नागरिक अधिकार आंदोलन भी गाँधी जी के विचारों से प्रेरित है।

(6) सारा संसार एक नवीन विश्व-व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है:-

आज जब हम महात्मा गाँधी के जीवन तथा शिक्षाओं को याद करते हैं तो हम उनके सत्यानुसंधान एवं विश्वव्यापी दृष्टिकोण के पीछे अपनी प्राचीन संस्कृति के मूलमंत्र 'उदारचारितानाम्तु वसुधैव कुटुम्बकम्' (अर्थात पृथ्वी एक देश है तथा हम सभी इसके नागरिक है) को पाते हैं। इन मानवीय मूल्यों के द्वारा ही सारा संसार एक नवीन विश्व सभ्यता की ओर बढ़ रहा है। गाँधी जी ने भारत की संस्कृति के आदर्श उदारचरित्रानाम्तु वसुधैव कुटुम्बकम् को सरल शब्दों में 'जय जगत' (सारे विश्व की भलाई हो) के नारे के रूप में अपनाने की प्रेरणा अपने प्रिय शिष्य संत विनोबा भावे को दी जिन्होंने इस शब्द का व्यापक प्रयोग कर आम लोगों में यह विचार फैलाया।

(7) महात्मा गाँधी सभी धर्मों का समान आदर करते थे:-

गाँधी जी एक सच्चे ईश्वर भक्त थे। वे सभी धर्मो की शिक्षाओं का एक समान आदर करते थे। गाँधी जी का मानना था कि सभी महान अवतार एक ही ईश्वर की ओर से आये हैं, धर्म एक है तथा मानव जाति एक है, इसलिए हमें प्रत्येक धर्म का आदर करना चाहिए। सभी धर्म एवं सभी धर्मों के दैवीय शिक्षक एक ही परमपिता परमात्मा के द्वारा भेजे गये हैं। हम चाहे मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर या गुरूद्वारे किसी भी पूजा स्थल में प्रार्थना करें हमारी पूजा, इबादत तथा प्रार्थना एक ही ईश्वर तक पहुँचती हैं। गाँधी जी निरन्तर अपने युग के प्रश्नों को हल करने का प्रयास अपने सत्यानुसंधान से करते रहे। गाँधी जी ने अपनी युग की प्राथमिक आवश्यकता के रुप में ग़ुलामी को मिटाया तथा बाद में उनका मिशन इस सृष्टि का संगठन करके प्रभु साम्राज्य धरती पर स्थापित करना था।

(8) आइये, विश्व बन्धुत्व की स्थापना के लिए प्रयास करके हम महात्मा गाँधी को सच्ची श्रद्धांजली दें:-

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी केवल भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के पितामह ही नहीं थे अपितु उन्होंने विश्व के कई देषों को स्वतंत्रता की राह भी दिखाई। महात्मा गाँधी चाहते थे कि भारत केवल एशिया और अफ्रीका का ही नहीं अपितु सारे विश्व की मुक्ति का नेतृत्व करें। उनका कहना था कि ''एक दिन आयेगा, जब शांति की खोज में विश्व के सभी देश भारत की ओर अपना रूख करेंगे और विश्व को शांति की राह दिखाने के कारण भारत विश्व का प्रकाश बनेगा।'' मेरा प्रबल विश्वास है कि भारत ही विश्व में शांति स्थापित करेगा। इस प्रकार विश्व में एकता एवं शांति की स्थापना के लिए प्रयास करके ही हम राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 'विश्व बन्धुत्व' के सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़कर उन्हें अपनी सच्ची श्रद्धांजली दे सकते हैं।

-जय जगत-
डा. जगदीश गांधी

 

Previous Page  | Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश