देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
डॉ. रामनिवास मानव के दोहे (काव्य)     
Author:डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav

डॉ. 'मानव' दोहा, बालकाव्य तथा लघुकथा विधाओं के सुपरिचित राष्ट्रीय हस्ताक्षर हैं तथा विभिन्न विधाओं में लेखन करते हैं। उनके कुछ दोहे यहां दिए जा रहे हैं:

1
ये पत्थर की मूर्तियां, ये पाहन के देव।
इनकी पूजा-अर्चना, मुझको लगे कुटेव।।

2
गगन-विहारी देवता, ब्रह्मा-विष्णु-महेश।
मिलकर कुछ ऐसा करें, विश्व का मिटे क्लेश।।

3

अब तक जब मांगा नहीं, कभी किसी से दान।
फिर तुमसे मां शारदे, मांगूं क्यों अवदान।।

4
देना हो तो दो मुझे, बस इतना वरदान।
शब्द-शब्द समिधा बने, अर्थ-अर्थ यजमान।।

5

अग्निधर्मा अर्थ हो, शक्तिधर्मा शब्द।
अपने हाथों से लिखूं, कविता का प्रारब्ध।।

6
इतनी विनती और है, देना यह आशीष।
कभी याचना के लिये, झुके न मेरा शीश।।

-डॉ. रामनिवास मानव

Previous Page  | Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश