मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
भारत-दर्शन::इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
Find Us On:
राम रतन धन पायो
पायो जी म्हे तो रामरतन धन पायो।बस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा को अपणायो।जनम जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो।खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढत सवायो।सत की नाव खेवहिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।मीरा के प्रभु गिरधरनागर, हरख-हरख जस पायो॥
- मीरा
#
भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?
यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें