अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 
दो विद्वान (कथा-कहानी)     
Author:खलील जिब्रान

एक बार एक प्राचीन नगर में दो विद्वान रहते थे। दोनों बड़े विद्वान थे लेकिन दोनों के बीच बड़ा मनमुटाव था। वे एक-दूसरे के ज्ञान को कमतर आँकने में लगे रहते।  

उनमें से एक नास्तिक और दूसरा आस्तिक था।

एक दिन दोनों बाजार में मिले। दोनों अपने अनुयायियों के साथ थे और वे सब ईश्वर के अस्तित्व को लेकर एक वाद-विवाद में उलझ गए। घंटों मशक्कत के बाद दोनों अलग हो गए।

उसी शाम नास्तिक मंदिर गया और वेदी के सामने नतमस्तक होकर प्रार्थना करने लगा कि ईश्वर उसके हठीले अतीत के लिए उसे क्षमा करे।

और उसी घड़ी आस्तिक विद्वान ने,  अपनी पवित्र पुस्तकों को जला दिया।  उसकी आस्था डगमगा चुकी थी।

-ख़लील जिब्रान 
भावानुवाद : रोहित कुमार 'हैप्पी'
[ The Two Learned Men] 

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