भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
 
मैं आपसे कहने को ही था | ग़ज़ल (काव्य)     
Author:शमशेर बहादुर सिंह

मैं आपसे कहने को ही था, फिर आया खयाल एकायक
कुछ बातें समझना दिल की, होती हैं मोहाल एकायक

साहिल पे वो लहरों का शोर, लहरों में वो कुछ दूर की गूँज
कल आपके पहलू में जो था, होता है निढाल एकायक

जब बादलों में घुल गयी थी कुछ चाँदनी-सी शाम के बाद
क्‍यों आया मुझे याद अपना वो माहे-जमाल एकायक

सीनों में कयामत की हूक, आँखों में कयामत की शाम :
दो हिज्र की उम्रें हो गयीं दो पल का विसाल एकायक

दिल यों ही सुलगता है मेरा, फुँकता है युँही मेरा जिगर
तलछट की अभी रहने दे, सब आग न ढाल एकायक

जब मौत की राहों में दिल जोरों से धड़कने लगता
धड़कन को सुलाने लगती उस शोख की चाल एकायक

हाँ, मेरे ही दिल की उम्‍मीद तू है, मगर ऐसी उम्‍मीद,
फल जाय तो सारा संसार हो जाय निहाल एकायक

एक् उम्र की सरगरदानी लाये वो घड़ी भी 'शमशेर'
बन जाये जवाब आपसे आप आँखों का सवाल एकायक

-शमशेर बहादुर सिंह

 

Previous Page  | Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश