जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
 
न्यूज़ीलैंड की भारतीय पत्रकारिता (विविध)     
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

यूँ तो न्यूज़ीलैंड में अनेक पत्र-पत्रिकाएँ समय-समय पर प्रकाशित होती रही हैं सबसे पहला प्रकाशित पत्र था 'आर्योदय' जिसके संपादक थे श्री जे के नातली, उप संपादक थे श्री पी वी पटेल व प्रकाशक थे श्री रणछोड़ क़े पटेल। भारतीयों का यह पहला पत्र 1921 में प्रकाशित हुआ था परन्तु यह जल्दी ही बंद हो गया।

एक बार फिर 1935 में 'उदय' नामक पत्रिका श्री प्रभु पटेल के संपादन में आरम्भ हुई जिसका सह-संपादन किया था कुशल मधु ने। पहले पत्र की भांति इस पत्रिका को भी भारतीय समाज का अधिक सहयोग नहीं मिला और पत्रिका को बंद कर देना पड़ा।

फिर लम्बे अंतराल तक किसी पत्र-पत्रिका का प्रकाशन नहीं हुआ। 90 के दशक में पुनः संदेश नामक पत्र प्रकाशित हुआ व कुछ अंकों के प्रकाशन के बाद बंद हो गया। इसके बाद द इंडियन टाइम्स, इंडियन पोस्ट, पेस्फिक स्टार व द ईस्टएंडर प्रकाशित हुए। इनके बाद अंतिम पात्र आया 'द फीजी-इंडिया एक्सप्रैस' का प्रकाशन कर रहे हैं श्री खान।

90 के दशक में आई इन पत्र-पत्रिकाओं में से अधिकतर बंद हो गई। न्यूज़ीलैंड की भारतीय पत्रकारिता में हिन्दी का अध्याय 1996 में 'भारत-दर्शन' पत्रिका के प्रकाशन से आरम्भ हुआ। 1921 से 90 के दशक का न्यूजीलैंड भारतीय पत्रकारिता के इतिहास पढ़ने और समझने के बाद पुनः एक लेखक व पत्रकार का प्रयास 'भारत-दर्शन' आपके समक्ष है। हिंदी भाषा के प्रेम व भारतीय समाज की जरुरत को समझते हुए मेरी नन्हीं सी कलम का ये प्रयास 'भारत-दर्शन' आप सब पाठकों को समर्पित।

-रोहित कुमार 'हैप्पी'

#

विशेष: यह संपादकीय आलेख 1996 में भारत-दर्शन के पहले अंक में प्रकाशित हुआ था। इसकी पीडीऍफ़ फाइल यहाँ उपलब्ध है।

न्यूज़ीलैंड की हिंदी पत्रकारिता के बारे में नवीनतम जानकारी के लिए विस्तृत आलेख, 'न्यूज़ीलैंड की हिंदी पत्रकारिता' पढ़ें।

#

©Rohit Kumar 'Happy', Bharat-Drashan New Zealand

Previous Page  | Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश