देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
सपना (काव्य)     
Author:स्वरांगी साने

खुली आँखों से
सपना देखती
सपने को टूटता देखती
खुद को अकेला देखती

फिर भी
वो सपना देखती।

- स्वरांगी साने
   ई-मेल: swaraangisane@gmail.com

 

Previous Page  | Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश