देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
दर्द की सारी लकीरों.... | ग़ज़ल  (काव्य)     
Author:विजय कुमार सिंघल

दर्द की सारी लकीरों को छुपाया जाएगा
उनकी ख़ातिर आज हर चेहरा सजाया जाएगा

सच तो यह है सब के सब लेंगे दिमाग़ों से ही काम
मामला दिल का वहां यूँ तों उठाया जाएगा

हो ही जाएगा किसी दिन मुझसे मेरा सामना
ख़ुद को ख़ुद से कितने दिन आखिर बचाया जाएगा

हम ग़लत लोगों को हरगिज़ ठीक कह सकते नहीं
गो  हमें मालूम है  हमको सताया जाएगा

जालिमों के वास्ते  उसमें जगह होगी नहीं
मेरे सपनों का नगर जब भी बसाया जाएगा

हम समय के नाम ऐसी चिट्टियां लिख जाएंगे
पीढ़ी-दर-पीढ़ी जिन्हें पढ़कर सुनाया जाएगा

-विजय कुमार सिंघल

 

Previous Page  | Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश