अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

नित्य करो तुम योग (काव्य)

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Author: शिवशंकर पटेल

उपभोग नहीं, उपयोग करो, नित्य करो तुम योग।
तन स्वस्थ, मन स्वच्छ, नहीं होगा कोई रोग ।।

सप्ताह में एक दिन बाइक, कार छोड़ो, करो साइकिल का प्रयोग।
इंधन बचत, प्रदूषण दूर शरीर पुष्ट करके देखो ओ हजूर।।

चाउमीन, पिज़्ज़ा, बर्गर छोड़ो दूध, दही, मट्ठा खाओ।
नशा, हिंसा, क्रोध त्यागो दया, धर्म, सत्य, अपनाओ।।

समय गतिशील है, प्रकृति परिवर्तनशील है करना नहीं वियोग।
मानव जीवन में जन्म लिया है, भारत देश में यह भी है संयोग।।
उपभोग नहीं, उपयोग करो, नित्य करो तुम योग।।

शिवशंकर पटेल
ई-मेल: twinkasinghal8@gmail.com

 

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