अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

बेधड़क दोहावली  (काव्य)

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Author: बेधड़क

गुस्सा ऐसा कीजिए, जिससे होय कमाल ।
जामुन का मुखड़ा तुरत बने टमाटर लाल।।

भारत की सरकार का, खूब गर्म है खून।
मुंह से निकली बात जो, वही बनी कानून।।

नहीं जानती श्रीमती, बाहर का कुछ हाल।
साड़ी जो न मिली उन्हें, कर बैठी हड़ताल।।

कवि सम्मेलन में कटी, है होली की रात।
मेंढक गण हर्षित हुए रंगों की बरसात।।

- बेधड़क बनारसी

 

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