यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।

प्रयोगवाद (काव्य)

Print this

Author: दिनेश कुमार गोयल

आलू!
उस पर एक और आलू,
फिर एक और आलू,
उस पर एक और आलू,
आलू, ऊपर आलू, उस पर आलू,
बोलो कृपालू
काव्य नहीं समझे
तो थैले से बैंगन भी निकालूं ?

- दिनेश कुमार गोयल
[गुदगुदी]

 

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश