प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।

मंजुल भटनागर की बाल-कविताएं | बाल कविता (बाल-साहित्य )

Print this

Author: मंजुल भटनागर

दादी

चाँद की दादी
आ जा ना
ढेर खिलोने दे जा ना
दूध जलेबी ले जा ना
चाँद का कुर्ता क्यों सिलती है ?
मुझको भी बतला जा ना
कोई कहानी कह जा ना


- मंजुल भटनागर

ई-मेल: manjuldbh@gmail.com

 

2)

शाम

शाम को खेलू ऐसे खेल
दोस्त बने हैं रेलम पेल
मम्मी झिडके बाज ना आऊ
घर की छत पर में चढ़ जाऊ
दीदी को में रोज चिढाऊ
शाम हुयी तो सैऱ सपाटा
आ जाओ दोस्तों, वाह भई वाह !!

- मंजुल भटनागर

 

 

3)

सूरज

सूरज तू क्यों आता हे
सोते मुझे उठाता है
रोज स्कूल भगाता है
खेलू तो छिप जाता है
कल तुम आना देरी से
सोते रहना शहरी से

- मंजुल भटनागर

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश