अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

अमर शहीदों को नमन (काव्य)

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Author: डॉ. सुमन सुरभि

अमर शहीदों ने धरती पर लहू से हिंदुस्तान लिखा है 
भारत माता के सजदे में मेरा देश महान लिखा है। 

माँ के आंचल की छांव त्याग मस्ती में चले अंगारों पर 
सीने में धधकती आग रही मुस्कानें अधर किनारों पर 
माटी स्वदेश की माथे पर चंदन सी दमकती इठलाती 
हर जनम बसंती रंग मिले बस एक यही अरमान लिखा है। 
भारत माता के सजदे में मेरा देश महान लिखा है॥ 

आग उगलती संगीनों पर बन के कयामत वार किया 
आन बचाने को स्वदेश की जिस्मो-जां निसार किया 
अपनी धरती अपना ये चमन ये ही अपना ईमान धरम 
वतन परस्ती सच्चा मजहब शान से ये पैगाम लिखा है। 
भारत माता की सजदे में मेरा देश महान लिखा है॥  

जय हिंद का करके शंख नाद चल पड़े पूत भारत माँ के 
फिर नमन किया कर्म पथ को वंदे मातरम गा-गा के 
दसों दिशाएं गूंज उठी उन मस्तानों के नारों से 
लहू में जलती अग्निशिखा ने दिव्य महाप्रस्थान लिखा है। 
भारत माता के सजदे में मेरा देश महान लिखा है॥ 

करके अर्पण अपना जीवन माटी का कर्ज उतार गए 
अपनी ही चिता की भस्म से वे निज देश का रूप निखार गए
नाज करेगी भारत-भूमि अपने वीर सपूतों पर 
जिनकी अंतिम स्वांसों ने भी एक महा-अभियान लिखा है। 
भारत माता के सजदे में मेरा देश महान लिखा है॥ 

- डॉ. सुमन सुरभि
  रुचिखण्ड लखनऊ (उत्तर प्रदेश), भारत
  ई-मेल: sumankumari0171@gmail.com

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